KALAM TERI YADON MEIN(A POEM DEDICATED TO DR.A.P.J.ABDUL KALAM ON HIS 84th BIRTH ANNIVERSARY ON THE EVE OF UN'S 'WORLD STUDENT'S DAY'')
कलाम तेरी यादों में
बुल बुल तेरे होठों पे ये कैसा तराना है
आज दुनियां में कलाम तू बेमिशाल है ,
दीदार करते हैं हम तेरी वो सादगी भरी जिन्दकी का
वो छोटासा चेहरा और मासूम सी मुश्कुराहट का ,
मिटादि अपनी हँसती को तूने विज्ञानं की खोज में
इसलिए तो मनाती है दुनिया जन्मवर्षगांठ पुरे विश्व में
आँख भर जाते हैं जब तेरी याद आती है
नजाने तेरे अग्नि -पृथ्वी मिसाइल्स विरानो में चुपके से रोते हैं ,
जितना भी लिक्खूँ तेरे बारे में वह होगा बहुत कम
कलाम !करता हूँ में तुझे लाखों सलाम !!!
कलाम !करता हूँ में तुझे लाखों सलाम !!!
कवि:मुहम्मद ओसिम अख्तर
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