'"आओ मिटाएँ भ्रष्टाचार "",This poem is written basically for creating awareness among people against the deadly and carcinogenic-corruption like situation in our country.This poem is written as per the request of ''Chief Vigilance Commission"' to celebrate ''Vigilance Awareness Week'' in CSIR-NEERI From 26th Oct-to31st Oct .

 आओ मिटाएँ भ्रष्टाचार

''जहाँ डाल डाल  पर सोने की चिड़िया करतींथी बसेरा 

वहीं पग पग पर भ्रष्टाचार  का आज लगा है मेला !

वही आर्य भूमि है पुण्य भूमि है भारत देश हमारा 

पर ईमानदारी इंशानोमें खोगया है सारा !

गांधी   तेरे देश में भ्रस्टाचार का है बोल बाला 

गाँवों से लेकर दफ्तर तक हर कोई है इस का मारा !

बिना शिक्के या नोट से फाइलों का आगे बढ़ना  अस्वीकार 

चाहे कार्य छोटा हो या बड़ा रिश्वतखोरी है  दारोमदार !

न  जाने हैं कितने कानून और संबैधानिक अधिकार 

 कोई शिकवा न कोई डर  है, सब यहाँ है  बेकार !

गरीब यहाँ रोटी के लिए  हररोज मरता है बार बार 

सरकार  लगाती है नारा हम बंद करेंगे भ्रष्टाचार!

अब दाल प्याज हुई महंगी गरीब बेचारा हुआ कंगाल 

बंद करो नेता अब नारेबाजी बंद करो ये भ्रष्टाचार!  

मंत्री करें यहाँ धोखाधड़ी या करें  तो बलात्कार 

माफ़ है सब कुछ उनके लिए क्योंकि उनकी है सरकार!

आओ  चलें सब हाथ मिलाएं मिलकर करें रिश्वतखोरी का इंकार 

शपथ करो ऐ भाई बहनों ! देंगे न लेंगे  रूपया या डॉलर !

आये यहां गांधी,बुद्ध ,रसूल और कितने पैगम्बर 

सत्य,अहिंसा और धरम  पर भारी  पड़ा ये भ्रष्टाचार!

जाग उठा है नौजवान यहाँ हो जाओ  नेता अब खबरदार 

आओ मिलकर  जड़ से मिटायें  भारत से ये भ्रष्टाचार !

जिस देश में   पैदा हुआ तू उसपर  अब अभिमान  कर 

भारतवासी होकर तू बस इस जमीं को बदनाम न कर !

नैतिक,बौद्धिक शिक्ष्या  से अपने बच्चोंको दिलवाओ सु संस्कार  

तब जाकर सोचो भारत से मिटेगा ये राक्ष्यस  रूपी भ्रष्टाचार !

पुरे  जग में गूंज उठेगा नारा भारत का जयजयकार !!

पुरे  जग में गूंज उठेगा नारा भारत का जयजयकार !!''


                                      कवि :मोहम्मद ओसिम अख्तर खान 

 

Well Articulated Comments are   Highly Accepted (author) .


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